जब जब पंजाब में चुनाव होते है, एक सवाल हमारे मन में खुद ही आ जाता है और वो ये की, 1984 के बाद भी सिख कांग्रेस को कैसे वोट देते है
आपको ध्यान होगा 1984 में दिल्ली और देश के कई हिस्सों में कांग्रेस ने उसके जिहादी कार्यकर्ताओं ने सिखों का सामूहिक कत्लेआम किया था, सिख महिलाओ को चुन चुन कर बलात्कार किया गया था
और यहाँ तक की, इंदिरा गाँधी के बेटे राजीव गाँधी ने सिखों के कत्लेआम को सही ठहराया था और कहा था की
"जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तब धरती कांपती तो है ही"
यानि इंदिरा गाँधी को मारा गया है, तो सिख तो मरेंगे ही
एक मुसलमान है जो बीजेपी को कभी वोट नहीं देते, जबकि सच्चाई ये है की, किसी भी अन्य राज्यों के मुकाबले मुसलमान बीजेपी शासित प्रदेशों में अधिक अमीर है, उदाहरण के तौर पर गुजराती मुस्लिम
पश्चिम बंगाल के मुस्लिमो से कहीं आधी समृद्ध है
मुसलमान किसी भी कीमत पर बीजेपी को वोट नहीं देते, मुसलमान तो विकास के लिए देश की प्रगति के लिए भी वोट नहीं देते, मुसलमान झुण्ड बनाकर एकजुट होकर केवल इसलिए वोट देते है की बीजेपी न आ सके
पर सिख 1984 के बाद भी लगातार कांग्रेस को वोट देते है, यहाँ तक की नवजोत सिंह सिद्धू जैसे सिख
बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस में जाते है, जबकि आरएसएस ने 1984 में देश के कई हिस्सों में कांग्रेसी जिहादियों से सिखों का बचाव किया था
फिर भी अमरिंदर सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू जैसे सिख, कांग्रेस के तलवे चाटते है, कदाचित इसलिए आजतक सिखों को 1984 में न्याय नहीं मिल सका, और शायद कभी मिले भी न
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